आजकल स्वास्थ्य एवं फिटनेस पर बड़ी चर्चा हो रही है। यह एक शुभ संकेत है। लेकिन यह कार्यरुप मे परिवर्तित नही हो रहा है, जितना होना चाहिए। अन्तराष्ट्रीय योग दिवस के कारण भी लोगो में वेलनेस के प्रति जागरूकता बढ़ी है, कहने का तात्पर्य है कि अभी तक सरकार एवं समाज इलनेस यानि बीमारी की बात करती थी कि कैसे होने के बाद अस्पताल जाना है, डाॅक्टर से सम्पर्क करना है, जाँच कराकर बेहतर इलाज करना है, उसके लिए अच्छे केन्द्र, अच्छे डॉक्टर्स तथा अस्पताल की खोज प्रारम्भ हो जाती है,लेकिन हम इससे हटकर बात कर रहे है, क्यो कि न हम सभी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो कर अपने सेहत को फिट रखे तथा बीमार ही न पड़े, यही वेलनेस की अवधारणा है। इसका मतलब यह नही कि लोगो का चिकित्सक की जरूरत नही पड़ेगी, बहुत सी बीमारियां ऐसी है, जो लाइफ स्टाइल से नही जुड़ी है, जिसका सम्बन्ध संक्रमण से है,व्यक्ति के जीन्स से है,पर्यावरण प्रदूषण से है तथा चोट एवं एक्सीडेन्ट से है, उसके लिए बेहतर चिकित्सा संसाधन की जरूरत समाज को जरूर पडे़गी। उसके लिए समाज तथा सरकार को प्रयास करने होगे, लेकिन जीवनचर्या अर्थात लाइफ स्टाइल से जुड़ी तमाम बीमारियो से हम बच सकते है,जिसमे प्रमुख है-मधुमेह,हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा अवसाद आदि।
दिनचर्या से जुड़ी हुई सेहत सम्बन्धी बीमारियां न हो इसके लिए यह जरूरी है कि 40 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति साल मे एक बार स्वत़ः अपने वेलनेस की जाँच कराए जिसमे मुख्य रूप से खून की कमी सम्बन्धित जाँच, जैसे- ब्लड काउंट, ब्लड पिक्चर, डायबिटिस स्क्रीनिंग, गुर्दा रोग की जाँच , जैसे यूरिया तथा क्रिएटिनिन, उच्च रक्तचाप से सम्बधित जाँच, जैसे- लिपिड प्रोफाइल तथा थाइराइड सम्बन्धी जाँच, जैसे-टी़ एस़ एच आदि। इन जाॅचों को हम वेलनेस प्रोफाइल का नाम से जानते हैं। जागरूक एवं कामकाजी लोग जो अपने आप को सेहतमंद रखना चाहते हैं, उन्हे ये जाँच वर्ष मे एक बार अवश्य करानी चाहिए। इस जाँच से लाभ यह होगा कि यदि कोई छिपी हुई दिनचर्या से जुड़ी बीमारी है, तो वह प्रारम्भिक दौर में ही पहचान में आ जायेगी तथा उसका इलाज सटीक, कारगर तथा जल्दी होगा। यदि जाँच में सभी रिपोर्ट सामान्य है तो व्यक्ति में आत्म विश्वास बढ़ता है, और वह अधिक मेहनत से अपने कार्य का संपादन करेगा। सेहत से जुड़ी हुई कुछ जाँच बच्चो में भी करानी चाहिए, जैसे- यदि बच्चे में कमजोरी है, तो हिमोग्लोबिन की जाँच, यूरिन की जाँच आदि के साथ ही आॅंखो की जाँच अवश्य करानी चाहिए।
सेहत की जाँच सम्बन्धी उपरोक्त बातें निश्चित रूप से वेलनेस की अवधारणा को समाज में आगे बढ़ायेगा। समाज स्वथ्य होगा तो निश्चित तौर पर देश की आमदनी बढ़ेगी एवं हम भविष्य मे विकसित राष्ट्र कहलायेगे। पुरानी कहावत हमें पुनः अपने बच्चों तथा युवाओं को बताना होगा कि, स्वथ्य शरीर मे ही स्वथ्य मस्तिष्क का विकास होता हैं।